Wednesday 9 July 2014


पुरुष एवेद गूँ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्व्यम् ! उतामृतवत्वस्येशानो यदन्ने नातिरोहति !

अर्थात - इस जगत में भूत, भविष्य एवं वर्तमान में जो कुछ हुआ, हो रहा है, होने
वाला है वह इन विराट पुरुष का ही अवयव है प्रत्येक कल्प में जीव देहधारी होकर
इन्हीं के अंश रूप में रहते हैं यही परमात्मा जीव रूप में पूर्वकर्मवश जन्म मृत्यु के
चक्कर में पड़कर भी अजमर-अमर और अजन्मा है !  इति वेदाः !

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