Thursday 24 March 2016

शनि हुए वक्री बढ़ेगी अराजकता
आज 25 मार्च दोपहरबाद 03 बजकर 17 मिनट पर ज्येष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण एवं बृश्चिक राशि पर शनि वक्री हो रहे हैं ये पुनः 13 अगस्त को
अनुराधा नक्षत्र के चतुर्थ चरण एवं बृश्चिक राशि पर मार्गी होंगे | इसप्रकार शनि 4 माह 19 दिनतक वक्र गति से चलेंगें | मार्गी का विलोम शब्द वक्री होता है, जिसका अर्थ है टेढ़ा चलना अथवा मुह फेर लेना | इसे आप व्यावहारिक भाषा में शनि का मुह फेर लेना भी कह सकते हैं | इसलिए जिन राशि के जातकों की जन्मकुंडलियों में शनि शुभ स्थान अथवा शुभ गोचर में चल रहे हैं उनके लिए तो वक्री शनि अच्छे नहीं कहे जायेगें क्योंकि आपकी मदद करने वाले ने आपसे मुह फेर लिया, किन्तु जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में शनि अशुभफलकारक हैं अथवा गोचर में अशुभ भाव में चलरहे हैं उनके लिए तो राहत है क्योंकि प्रताड़ित करने पीछे मुड़ गया | जिन असामाजिक तत्वों अथवा आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं, अधिकारियों को शनि दंड दे रहे थे वै अब राहत की साँस लेगें और अवसर मिलते ही पुनः अनैतिक गतिविधियों में लग जायेंगें | देश द्रोहियों एवं गद्दारों का वर्चस्व पुनः बढ़ने लगेगा वै बेलगाम हो जायेंगें क्योंकि उन्हें प्रशासन का डर नहीं रहेगा | इसीलिए ज्योतिषीय विद्वान् फलित करते समय वक्री शनि को अशुभ बताते हैं क्योंकि इस अवधि में सामाजिक शान्ति तो भंग होती ही है व्यावहारिक समरसता का भी अभाव रहता है | शेयर बाज़ार में कमोडिटी के सेक्टर्स के साथ-साथ क्रूड आयल, स्टील, कोल, सीमेंट्स लौह, ऑटो एवं शनिदेव से सम्बंधित वस्तुओं के सेक्टर्स में अच्छी खरीदारी-बिकवाली रहेगी | इसी अवधि के मध्य पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं, आँधी-तूफ़ान चक्रवातीय वर्षा की अधिकता रहेगी | मेष और सिंह राशि पर शनि की ढैया, तथा तुला, बृश्चिक एवं धनु राशि पर शाढ़ेसाती चलने के परिणामस्वरूप इन राशि वाले जातकों कुछ दिनों के लिए राहत मिलेगी इसलिए इन्हें अपने कर्मों में और अधिक सुधार लाना चाहिए ताकि आने वाला समय अनुकूल रहे | बृषभ,मिथुन, कर्क, कन्या, मकर, कुम्भ और मीन राशि वालों को सन्मार्ग पर चलते हुए सत्कर्मों की वृद्धि करनी चाहिए | जिन लोगों पर इनकी महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यांतरदशा, सूक्ष्मदशा आदि चल रही हो उन्हें विषम परिस्थियों में भी सत्यभाषण का त्याग नही करना चाहिए तभी शनि की अनुकूलता मिलेगी | वक्री शनि के अशुभ प्रबाव से बचने के लिए प्रतिदिन "ॐ नमो भगवते शनैश्चराय'' का जप करें, पीपल अथवा शमी का वृक्ष लगाएं |16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों-विद्यार्थियों पर शनि का कोई भी अशुभ प्रभाव नही रहेगा, अतः बच्चों को परीक्षा में अधिक सफलता के पाने के लिए माता, पिता एवं गुरु की सेवा तथा परोपकार करना चाहिए | पं जयगोविन्द शास्त्री 

Tuesday 8 March 2016

सूर्यग्रहण 09 मार्च को
आगामी फाल्गुन अमावस्या बुधवार 09 मार्च को लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में खण्डग्रास एवं ग्रस्तोदय खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा | यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिणकोरिया, जापान, सिंगापुर एवं आस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा | भारत के उत्तर तथा उत्तर पश्चिमी भागों में ग्रहण दिखाई नहीं देगा अतः इन स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित दोष का विचार नहीं किया जायेगा इस स्थानों पर धार्मिक एवं मांगलिक कृत्य यथावत मनाये जायेंगें | ग्रहण का आरम्भ प्रातः 04 बजकर 49 मिनट पर होगा जिसके परिणाम स्वरूप इसका सूतककाल 12 घंटे पूर्व 08 मार्च की शायं 04 बजकर 49 मिनट से आरम्भ हो जाएगा | प्रातः 05बजकर 47 मिनट पर ही खग्रास प्रारम्भ हो जायेगा 07 बजकर 27 मिनट पर पूर्णग्रास दिखाई देगा | 09 बजकर 08 मिनट पर खग्रास समाप्त हो जाएगा |10 बजकर 05 मिनट पूरी तरह सूर्यदेव ग्रहण मुक्त हो जायेंगे | इस प्रकार ग्रहण की पूर्ण अवधि 05 घंटे 16मिनट की रहेगी | यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र एवं कुंभ राशि में घटित हो रहा है अतः इस राशि वाले जातकों को ग्रहण ॐ नमः शिवाय का जप अधिक से अधिक करना चाहिए | ग्रहण साध्य योग में पड रहा है इसलिए साधू-संतो एवं सन्मार्गियों के लिए अशुभ रहने वाला है | मेष, कर्क, बृश्चिक, धनु, राशि वालों के लिए ग्रहण का स्वास्थ्य, आर्थिक एवं व्यापारिक दृष्टि से शुभ रहेगा | तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को अधिक व्यय के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा | बृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, राशि वालों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार से सम्बंधित चिंताएं बढ़ायेगा | विद्यार्थी वर्ग को परीक्षा अथवा किसी भी प्रतियोगिता के भाग लेते समय गणेश एवं सरस्वती माँ का स्मरण करना चाहिए | इस ग्रहण के दुष्प्रभाव स्वरूप प्राणियों की जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर हो सकती है अतः इससे बचने के लिए ॐ नमोऽ भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा | मंत्र का जप करना श्रेयष्कर रहेगा | गर्भवती महिलायें ग्रहण देखने से बचें अन्यथा जन्म लेने वाले जीव के क्रमिक विकास में बाधा आ सकती है | किसी भी ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती के उदरभाग में गाय का गोबर और तुलसी का लेप लगायें | ग्रहण के दौरान गर्भवती माताएँ-बहने पृथ्वी पर न लेटें और न ही किसी वस्तु को काटने के लिए कैंची एवं चाकू का प्रयोग करें | ग्रहण समाप्ति के पश्च्यात स्नान करके यथा शक्ति दान पुण्य करें | पं जयगोविन्द शास्त्री