Sunday 2 October 2016

अच्छे विद्यार्थी बनने के लिए करें माँ ब्रह्मचारिणी का स्तवन- पं जयगोविन्द शास्त्री
ब्रह्मं चारयितुम शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी
अर्थात- जो ब्रह्मज्ञान दिलाकर मोक्ष मार्ग को प्रसस्त करे वे ही माँ ब्रह्म चारिणी हैं | माँ शक्ति का दूसरा रूप देवी ब्रह्म चारिणी का है जिस प्रकार नवधा भक्ति में परमेश्वर प्राप्ति के नौ मार्ग बताये गए हैं उसी प्रकार देवी सती भी नौ रूपों के द्वारा अलग-अलग तप करके परमेश्वर श्री शिव को प्राप्त किया | तभी इन नौ दुर्गाओं को नवधा भक्ति का सूक्ष्म तत्व भी कहा जाता है ये वही माँ हैं जो भक्तों को मोहजाल से मुक्ति दिलाती हैं |नवरात्र के दूसरे दिन इन्हीं माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना की जाती है | साधक इस दिन अपने मन को माँ के श्रीचरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और माँ की कृपा प्राप्त करते हैं | ऋषि मुनियों ने कहा है कि 'वेदस्तत्वंतपो ब्रह्म, वेदतत्व और ताप का अर्थ है ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है, इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमण्डल रहता है | श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं | अपनी कुंडलिनी जागृत करने के लिए साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं |माँ का ध्यान मंत्र इस प्रकार है- 'दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
पूजन विधि -
माँ मूलरूप से तपस्विनी हैं भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों वर्ष तक घोर तपस्या की और जंगल के फलों-पत्तों को खाकर अपनी साधना पूर्ण की और शिव को प्राप्त किया इसलिए इनका का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है | मात्र एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में चन्दन माला लिए हुए प्रसन्न मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य क्रोध रहित और तुरन्त वरदान देने वाली देवी हैं | नवरात्र के दूसरे दिन शाम के समय देवी के मंडपों में ब्रह्मचारिणी दुर्गा का स्वरूप बनाकर उसे सफेद वस्त्र पहनाकर हाथ में कमंडल और चंदन माला देने के बाद फल, फूल एवं धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करके आरती करने का विधान है | इनकी आराधना में ॐ या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: || इस सबसे सरल मंत्र के द्वारा पूजा के लिए लाये गए पदार्थों को अर्पित करना चाहिए |लाभ- इनकी आराधना से घर में सौम्य लक्ष्मी का वास रहता है दरिद्रता दरवाजे से वापस चली जाती है | विद्यार्थियों के लिए इनकी आराधना करना अति लाभप्रद रहता है उन्हें किसी भी तरह की शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता और गृहस्थों के लिए सदैव सुख शान्ति बनी रहती है | पं जयगोविन्द शास्त्री