Thursday 31 October 2013

भावभरे आंसुओं से करे माँ महालक्ष्मी का स्तवन-अर्चन..

Sunday 27 October 2013


मित्रों ! आपके लिए शुभ समाचार है, कि आगामी 15, 16, 17 नवंबर
को '' श्रीराम मंदिर, मयूर विहार फेज 1 पाकेट 1 दिल्ली 110091'' में
'शिवसंकल्पमस्तु' संस्था द्वारा नौ कुण्डीय ''महारुद्र यज्ञ'' का आयोजन
किया जा रहा है ! 'यज्ञ' में देश के अलग-अलग राज्यों से वैदिक विद्वानों
को आमंत्रित किया गया है सहभागी बनने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं,
संस्था द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर ''महारुद्र यज्ञ'' करने का संकल्प भी
लिया जा चुका है जो उज्जैन से आरम्भ हो गया है, आप भी अपनी उपस्थिति
से हमारा उत्साह बढ़ाएं ! shivasankalpmastu.blogspot.com
पं जयगोविंद शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी.)दिल्ली
Mb.+91 9811046153, 9868793319, 98685 35099, 83758 51934

मित्रों ! आपके लिए शुभ समाचार है, कि आगामी 15, 16, 17 नवंबर
को '' श्रीराम मंदिर, मयूर विहार फेज 1 पाकेट 1 दिल्ली 110091'' में
'शिवसंकल्पमस्तु' संस्था द्वारा नौ कुण्डीय ''महारुद्र यज्ञ'' का आयोजन
किया जा रहा है ! 'यज्ञ' में देश के अलग-अलग राज्यों से वैदिक विद्वानों
को आमंत्रित किया गया है सहभागी बनने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं,
संस्था द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर ''महारुद्र यज्ञ'' करने का संकल्प भी
लिया जा चुका है जो उज्जैन से आरम्भ हो गया है, आप भी अपनी उपस्थिति
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पं जयगोविंद शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी.)दिल्ली
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मित्रों ! आपके लिए शुभ समाचार है, कि आगामी 15, 16, 17 नवंबर
को '' श्रीराम मंदिर, मयूर विहार फेज 1 पाकेट 1 दिल्ली 110091'' में
'शिवसंकल्पमस्तु' संस्था द्वारा नौ कुण्डीय ''महारुद्र यज्ञ'' का आयोजन
किया जा रहा है ! 'यज्ञ' में देश के अलग-अलग राज्यों से वैदिक विद्वानों
को आमंत्रित किया गया है सहभागी बनने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं,
संस्था द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर ''महारुद्र यज्ञ'' करने का संकल्प भी
लिया जा चुका है जो उज्जैन से आरम्भ हो गया है, आप भी अपनी उपस्थिति
से हमारा उत्साह बढ़ाएं ! shivasankalpmastu.blogspot.com
पं जयगोविंद शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी.)दिल्ली
Mb.+91 9811046153, 9868793319, 98685 35099, 83758 51934

मित्रों ! आपके लिए शुभ समाचार है, कि आगामी 15, 16, 17 नवंबर
को '' श्रीराम मंदिर, मयूर विहार फेज 1 पाकेट 1 दिल्ली 110091'' में
'शिवसंकल्पमस्तु' संस्था द्वारा नौ कुण्डीय ''महारुद्र यज्ञ'' का आयोजन
किया जा रहा है ! 'यज्ञ' में देश के अलग-अलग राज्यों से वैदिक विद्वानों
को आमंत्रित किया गया है सहभागी बनने हेतु आप सादर आमंत्रित हैं,
संस्था द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों पर ''महारुद्र यज्ञ'' करने का संकल्प भी
लिया जा चुका है जो उज्जैन से आरम्भ हो गया है, आप भी अपनी उपस्थिति
से हमारा उत्साह बढ़ाएं ! shivasankalpmastu.blogspot.com
पं जयगोविंद शास्त्री संस्थापक/अध्यक्ष शिवसंकल्पमस्तु संस्था (पंजी.)दिल्ली
Mb.+91 9811046153, 9868793319, 98685 35099, 83758 51934

Monday 21 October 2013

सितंबर माह में उज्जैन में शिवसंकल्पमस्तु संस्था द्वारा आयोजित महारुद्र यज्ञ ....



 "शरद पूर्णिमा पर पायें ऋण-रोग और दारिद्र्य से मुक्ति "
शरद पूर्णिमा का पावन पर्व आज है ! अगस्त तारे के उदय और चंद्रमा की सोलह कलाओं  की शीतलता का संयोग
देखने लायक होगा ! यह पूर्णिमा सभी बारह पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ट मानी गयी गई है ! आज के दिन भगवान् कृष्ण
महारास रचाना आरम्भ करते हैं ! देवीभागवत महापुराण में कहा गया है कि, गोपिकाओं के अनुराग को देखते हुए
भगवान् कृष्ण ने चन्द्र से महारास का संकेत दिया, चन्द्र ने भगवान् कृष्ण का संकेत समझते ही अपनी शीतल रश्मियों
से प्रकृति को आच्छादित कर दिया ! उन्ही किरणों ने भगवान् कृष्ण के चहरे पर सुंदर रोली कि तरह लालिमा भर दी !
फिर उनके अनन्य जन्मों के प्यासे बड़े बड़े योगी, मुनि, महर्षि और अन्य  भक्त गोपिकाओं के रूप में कृष्ण लीला रूपी
महारास ने समाहित  हो गए, कृष्ण कि वंशी कि धुन सुनकर अपने अपने कर्मो में लीन सभी गोपियाँ अपना घर-बार
छोड़कर  भागती हुईं  वहाँ आ पहुचीं ! कृष्ण और  गोपिकाओं का अद्भुत प्रेम देख कर चन्द्र ने अपनी सोममय किरणों से
अमृत वर्षा आरम्भ कर दी जिसमे भीगकर यही गोपिकाएं अमरता को प्राप्त हुईं, और भगवान् कृष्ण के अमर  प्रेम का
भागीदार बनी चंद्रमा की सोममय रश्मियां जब पेड़ पौधों और वनस्पतियों पर पड़ी तो उनमें भी अमृत्व का संचार हो गया !
इसीलिए इसदिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे मध्यरात्रि में रखने का विधान है रात्रि में चन्द्र की किरणों से जो
अमृत वर्षा होती है, उसके फलस्वरुप वह खीर भी अमृत समान हो जाती है उसमें चन्द्रमाँ से जनित दोष शांति और आरोग्य
प्रदान करने की क्षमता स्वतः आ जाती है ! यह प्रसाद ग्रहण करने से प्राणी मानसिक क्लान्ति से मुक्ति पा लेता है !
            ! कर्ज से मुक्ति माने का दिन !
प्रलय के चार प्रमुख देवता रूद्र, वरुण, यम और निर्रृति का तांडव जब आषाढ़ शुक्ल एकादशी विष्णु शयन के दिन से
आरम्भ होता है, तो माता लक्ष्मी भी विष्णु सेवा में चली जाती हैं ! जिसके परिणाम स्वरुप देवप्राण शक्तियाँ भी
कमजोर होती जाती है और आसुरी शक्तियों का वर्चस्व बढ़ जाता है ! इस अवधि में वरुणदेव  बाढ़ , सुखा,
भूस्खलन, रूद्र नानाप्रक्रार के ज्वर यक्ष्मा आदि  रोग, यम अकाल मृत्यु  और अलक्ष्मी देवी जिन्हें आप निर्र्ति के
नाम से जानते हैं, वै पृथ्वीवासिओं को नाना प्रक्रार के दुःख-दारिद्र्य और  हानि पहुचाती हैं ! इस काल कि मुख्य अवधि
भादों पूर्णिमा तक होती है महालय के बाद नवरात्रिमें शक्ति आराधना के मध्य जब देवप्राण की शक्ति बढ़ने लगती है
तब आसुरी शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ! विजयदशमी के दिन व्रत पारणा के पश्च्यात भगवान् विष्णु की परमप्रिय
एकादशी को सबके पूजा आराधना के फल, कर्मों के आधार पर दिया जाता है ! जिससे पापकर्मो पर अंकुश लगजाता है
इसीलिए इसे पापांकुशा एकादशी भी कहते हैं ! पाप पर अंकुश लगने के बाद पूर्णिमा को माता महालक्ष्मी का पृथ्वी पर
आगमन होता है ! वै घर-घर जाकर सबको वरदान देती हैं किन्तु जो लोग दरवाजा बंद करके सो रहे होते हैं वहाँ से
लक्ष्मी जी दरवाजे से ही वापस चली जाती है ! तभी शास्त्रों में  इस पूर्णिमा को  कोजागरव्रत, यानी कौन जाग रहा है
व्रत भी कहते हैं ! इसदिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं ! अतः शरदपूर्णिमा को कर्ज मुक्ति पूर्णिमा
भी इसीलिए कहते हैं ! इसरात्रि को ''श्रीसूक्त'' का पाठ, ''कनकधारा स्तोत्र'' ''विष्णु सहस्त्र'' नाम का जाप और भगवान् कृष्ण
का 'मधुराष्टकं' का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता है और उस भक्त को भगवान् कृष्ण का सानिध्य मिलता है !
जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव
में हो तो चन्द्र की पूजा और मोती अथवा स्फटिक माला से ॐ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करके चंद्रजनित दोषों से
मुक्ति पाई जा सकती है ! जिन्हें लो ब्ल्ड प्रेशर हो, पेट या ह्रदय सम्बंधित बीमारी हो, कफ़ नजला-जुखाम हो आखों से
सम्बंधित बीमारी हो वै आज के दिन चन्द्रमा की आराधान करके इस सबसे मुक्ति पासकते हैं ! जिन विद्यार्थियों
का मन पढ़ाई में न लगता हो वै चन्द्र यन्त्र धारण करके परीक्षा अथवा प्रतियोगिता में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं !
यह शरद पूर्णिमा सभी प्रकार के ऋण-रोग और दारिद्र्य से मुक्ति दिलाने वाली है ! पं. जय गोविन्द शास्त्री
करवा चौथ के पवित्र पर्व पर सभी माताओं-बहनों और मित्रों की पत्नियों को शुभकामनाएँ .....

Thursday 17 October 2013


 "शरद पूर्णिमा पर पायें ऋण-रोग और दारिद्र्य से मुक्ति "
शरद पूर्णिमा का पावन पर्व आज है ! अगस्त तारे के उदय और चंद्रमा की सोलह कलाओं  की शीतलता का संयोग
देखने लायक होगा ! यह पूर्णिमा सभी बारह पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ट मानी गयी गई है ! आज के दिन भगवान् कृष्ण
महारास रचाना आरम्भ करते हैं ! देवीभागवत महापुराण में कहा गया है कि, गोपिकाओं के अनुराग को देखते हुए
भगवान् कृष्ण ने चन्द्र से महारास का संकेत दिया, चन्द्र ने भगवान् कृष्ण का संकेत समझते ही अपनी शीतल रश्मियों
से प्रकृति को आच्छादित कर दिया ! उन्ही किरणों ने भगवान् कृष्ण के चहरे पर सुंदर रोली कि तरह लालिमा भर दी !
फिर उनके अनन्य जन्मों के प्यासे बड़े बड़े योगी, मुनि, महर्षि और अन्य  भक्त गोपिकाओं के रूप में कृष्ण लीला रूपी
महारास ने समाहित  हो गए, कृष्ण कि वंशी कि धुन सुनकर अपने अपने कर्मो में लीन सभी गोपियाँ अपना घर-बार
छोड़कर  भागती हुईं  वहाँ आ पहुचीं ! कृष्ण और  गोपिकाओं का अद्भुत प्रेम देख कर चन्द्र ने अपनी सोममय किरणों से
अमृत वर्षा आरम्भ कर दी जिसमे भीगकर यही गोपिकाएं अमरता को प्राप्त हुईं, और भगवान् कृष्ण के अमर  प्रेम का
भागीदार बनी चंद्रमा की सोममय रश्मियां जब पेड़ पौधों और वनस्पतियों पर पड़ी तो उनमें भी अमृत्व का संचार हो गया !
इसीलिए इसदिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे मध्यरात्रि में रखने का विधान है रात्रि में चन्द्र की किरणों से जो
अमृत वर्षा होती है, उसके फलस्वरुप वह खीर भी अमृत समान हो जाती है उसमें चन्द्रमाँ से जनित दोष शांति और आरोग्य
प्रदान करने की क्षमता स्वतः आ जाती है ! यह प्रसाद ग्रहण करने से प्राणी मानसिक क्लान्ति से मुक्ति पा लेता है !
            ! कर्ज से मुक्ति माने का दिन !
प्रलय के चार प्रमुख देवता रूद्र, वरुण, यम और निर्रृति का तांडव जब आषाढ़ शुक्ल एकादशी विष्णु शयन के दिन से
आरम्भ होता है, तो माता लक्ष्मी भी विष्णु सेवा में चली जाती हैं ! जिसके परिणाम स्वरुप देवप्राण शक्तियाँ भी
कमजोर होती जाती है और आसुरी शक्तियों का वर्चस्व बढ़ जाता है ! इस अवधि में वरुणदेव  बाढ़ , सुखा,
भूस्खलन, रूद्र नानाप्रक्रार के ज्वर यक्ष्मा आदि  रोग, यम अकाल मृत्यु  और अलक्ष्मी देवी जिन्हें आप निर्र्ति के
नाम से जानते हैं, वै पृथ्वीवासिओं को नाना प्रक्रार के दुःख-दारिद्र्य और  हानि पहुचाती हैं ! इस काल कि मुख्य अवधि
भादों पूर्णिमा तक होती है महालय के बाद नवरात्रिमें शक्ति आराधना के मध्य जब देवप्राण की शक्ति बढ़ने लगती है
तब आसुरी शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ! विजयदशमी के दिन व्रत पारणा के पश्च्यात भगवान् विष्णु की परमप्रिय
एकादशी को सबके पूजा आराधना के फल, कर्मों के आधार पर दिया जाता है ! जिससे पापकर्मो पर अंकुश लगजाता है
इसीलिए इसे पापांकुशा एकादशी भी कहते हैं ! पाप पर अंकुश लगने के बाद पूर्णिमा को माता महालक्ष्मी का पृथ्वी पर
आगमन होता है ! वै घर-घर जाकर सबको वरदान देती हैं किन्तु जो लोग दरवाजा बंद करके सो रहे होते हैं वहाँ से
लक्ष्मी जी दरवाजे से ही वापस चली जाती है ! तभी शास्त्रों में  इस पूर्णिमा को  कोजागरव्रत, यानी कौन जाग रहा है
व्रत भी कहते हैं ! इसदिन की लक्ष्मी पूजा सभी कर्जों से मुक्ति दिलाती हैं ! अतः शरदपूर्णिमा को कर्ज मुक्ति पूर्णिमा
भी इसीलिए कहते हैं ! इसरात्रि को ''श्रीसूक्त'' का पाठ, ''कनकधारा स्तोत्र'' ''विष्णु सहस्त्र'' नाम का जाप और भगवान् कृष्ण
का 'मधुराष्टकं' का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता है और उस भक्त को भगवान् कृष्ण का सानिध्य मिलता है !
जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव
में हो तो चन्द्र की पूजा और मोती अथवा स्फटिक माला से ॐ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करके चंद्रजनित दोषों से
मुक्ति पाई जा सकती है ! जिन्हें लो ब्ल्ड प्रेशर हो, पेट या ह्रदय सम्बंधित बीमारी हो, कफ़ नजला-जुखाम हो आखों से
सम्बंधित बीमारी हो वै आज के दिन चन्द्रमा की आराधान करके इस सबसे मुक्ति पासकते हैं ! जिन विद्यार्थियों
का मन पढ़ाई में न लगता हो वै चन्द्र यन्त्र धारण करके परीक्षा अथवा प्रतियोगिता में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं !
यह शरद पूर्णिमा सभी प्रकार के ऋण-रोग और दारिद्र्य से मुक्ति दिलाने वाली है ! पं. जय गोविन्द शास्त्री

Tuesday 15 October 2013


जागु-जागु जीव जड़ जोहै जगजामिनी !
देह, गेह, नेह, जानु जैसे घनदामिनी !!

अर्थात - हे ! जड़मति जीव जागो-जागो ! जगत को उत्पन्न करने वाली माँ
पराम्बा तुम्हारे सन्मार्ग पर आने की प्रतीक्षा कर रही हैं ! यह देह जिसके
बल पर तुम्हें अभिमान है, यह महल जो तुम्हारे अहंकार को बढ़ावा देता है
और ये रिश्ते-नाते  जो तुम्हारे सच्चिदानंद प्राप्ति में बाधक बन रहे हैं ये
सब बादलों के मध्य चमकती हुई बिजली के समान क्षण भंगुर हैं !

Thursday 3 October 2013


हाल ही में महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन ( म.प्र ) में शिवसंकल्पमस्तु संस्था
द्वारा आयोजित 'महारुद्र यज्ञ' को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया !

हाल ही में महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन ( म.प्र ) में शिवसंकल्पमस्तु संस्था
द्वारा आयोजित 'महारुद्र यज्ञ' को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया !
हाल ही में महाकाल ज्योतिर्लिंग उज्जैन ( म.प्र ) में शिवसंकल्पमस्तु संस्था 
द्वारा आयोजित 'महारुद्र यज्ञ' को मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया !