Saturday 7 May 2016

अक्षयफल प्रदान करने वाली 'अक्षय तृतीया' 09 मई को- पं जयगोविन्द शास्त्री
माँ पार्वती द्वारा अक्षुणफल देने और श्रेष्ठतम् मुहूर्त के रूप में वरदान प्राप्त वैशाख शुक्ल तृतीया 09 मई सोमवार को है | सनातम धर्म का कोई भी
कार्य जिसके लिए मुहूर्त न निकल रहा हो वो भी इस स्वयंसिद्ध मुहूर्त में किया जा सकता है | इसके अतिरिक्त वैदिक एवं पौराणिक शास्त्रों ने चैत्रमाह के शुक्लपक्ष की रामनवमी, वैशाख शुक्लपक्ष की अक्षयतृतीया, आश्विन शुक्लपक्ष की विजयदशमी, कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थानी एकादशी और माघ शुक्लपक्ष की बसंत पंचमी को भी अमोघ पुण्यफलदाई मुहूर्तों में गणना की है | इसीदिन त्रेतायुग का आरम्भ, भगवान के परशुराम, नरनारायण एवं हयग्रीव अवतारों का प्रादुर्भाव हुआ | इन मुहूर्तों के मध्य किया गया कोई भी कार्य कभी भी निष्फल नहीं होता | अतः भूमिपूजन, नये व्यापार का शुभारम्भ, गृहप्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, जप-तप, पूजा-पाठ, एवं दान-पुण्य का फल अक्षय रहता है | इसीलिए हर प्राणी को इसदिन का पूर्ण सदुपयोग अच्छे कार्यों और समाज की भलाई के लिए किये जाने वाले कर्मों के लिए करना चाहिए | वाराहकल्प की इस तिथि को मानव कल्याण हेतु माँ पार्वती ने शक्ति संपन्न किया है | वे कहती हैं कि जो नारियां संसार के सभी प्रकार का सुख-वैभव चाहती हैं उन्हें अक्षयतृतीया का व्रत करना चाहिए | व्रत के दिन नमक नहीं खाना चाहिए | माँ पार्वती कहती हैं कि यही व्रत करके मैं भगवान् शिव के साथ आनंदित रहती हूँ | उत्तम पति की प्राप्ति के लिए कुँवारी कन्याओं को भी यह व्रत करना चाहिए | जिनको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो वे भी यह व्रत करके संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं | मनुष्य को इसदिन झूट बोलने, पापकर्म करने और दूसरों को आत्मिक कष्ट पहुचाने से बचना चाहिए क्योंकि, इसदिन किया गया पाप कभी नष्ट नहीं होता वह हर जन्म में जीव का पीछा करता हुआ उसे प्रताणित करता है | इसदिन जगतगुरु भगवान् नारायण की लक्ष्मी सहित गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए | अगर भगवान् विष्णु को गंगा जल और अक्षत से स्नान करावै तो मनुष्य को राजसूय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है प्राणी सब पापों से मुक्त हो जाता है | यहदिन वृक्षारोपण के लिए सर्वश्रेष्ठ कहा गया है, इसदिन पंचपल्लव जिनमें पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, और पञ्चअमृत वृक्ष जिनमें आंवला, बेल, जामुन, हरर और बहेड़ा अथवा अन्य फलदार वृक्ष लगाने से मनुष्य सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है | जिसप्रकार अक्षयतृतीया को लगाये गये वृक्ष हरे-भरे होकर पल्लवित- पुष्पित होते हैं उसी प्रकार इसदिन वृक्षारोपण करने वाला प्राणी भी कामयाबियों के शिखर पर पहुंचता है, अतः आनेवाले अक्षय मुहूर्त को पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए |