Saturday 1 November 2014


शनि का बृश्चिक राशि में प्रवेश
भगवान शनि लगभग 28 वर्षों के बाद पुनः 2 नवम्बर की रात्रि 08 बजकर 53 मिनट पर तुला राशि की यात्रा समाप्त करके बृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे | इनके राशि परिवर्तन को ज्योतिषजगत बड़ी घटना के रूप में देखता है | बृश्चिक राशि में प्रवेश करते ही कन्या राशि वाले जातकों की साढ़ेसाती समाप्त हो जायेगी तथा धनुराशि वालों की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी, कर्क और मीन राशि वाले जातक भी शनि की ढैय्या से मुक्त हो जाएँगे ! मेष और सिंहराशि वालों पर ढैय्या आरंभ हो जाएगी | रविवार को सतभिषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण और कुम्भ राशि के चंद्र के मध्य शनिदेव का बृश्चिक राशि में प्रवेश होने से मेष, कन्या एवं कुम्भ राशि वालों के लिए स्वर्ण का पाया रहेगा, जो संघर्ष के बाद सफलता का सूचक है | बृषभ, सिंह एवं धनु राशि के जातकों के लिए तांबे का पाया रहेगा, जो हर कार्य योजनाओं को सफल बनाएगा | मिथुन, तुला एवं मकर राशि वालों के लिए चांदी का पाया रहेगा, जो मान-सम्मान में वृद्धि और आय के श्रोत बढ़ाएगा | कर्क, बृश्चिक एवं मीन राशि वालों पर लोहे का पाया रहेगा, जो पारिवारिक कलह और मानसिक उलझन देगा, आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ सकता है |शनि की साढ़ेसाती के पड़ाव - अपनी साढ़ेसाती की यात्रा में मध्य शनि का पहला पड़ाव 100 दिनोंतक प्राणियों के मुख पर रहता है, जो किसी भी राशि पर इनकी आरंभिक यात्रा होती है, यह हानिकारक होती है उदाहरण के तौर पर बृश्चिक राशि पर शनि का आगमन 02 नवंबर से हो रहा है तो आगे 100 दिनोंतक यानी 12 फरवरी की रात्रि 08 बजकर 53 मिनटतक के मध्य साढ़ेसाती का प्रभाव इस राशि वालों के मुख पर रहेगा, जो स्वास्थय के लिए हानिकारक रहेगा | इसीप्रकार साढ़ेसाती का दूसरा पड़ाव 400 दिनतक जातकों की दाहिनी भुजा पर रहेगा, जो नानाप्रकार की कामियाबियों के चरम पर पंहुचाएगा | साढ़ेसाती की यह अवधि सफलताओं के कई कीर्तिमान स्थापित करवाएगी | उसके बाद साढ़ेसाती का तीसरा पड़ाव 600 दिन तक जातकों के पाँव में रहेगा जिसके फलस्वरुप उन्हें तीर्थयात्रा, विदेश भ्रमण, अनेक यात्राएं तथा समारोहों में शामिल होने सुअवसर मिलता है, उसके पश्च्यात चौथा पड़ाव 500 दिनतक जातकों के पेट पर रहेगा, जो हर प्रकार से शुभफलदाई रहेगा भौतिक सुखों की अधिकता रहेगी ! साढ़ेसाती का पांचवाँ पड़ाव 400 दिनोंतक बाईभुजा पर रहेगा, जो अशुभ फल कारक है साढ़ेसाती की यह अवधि सबसे खतरनाँक होती है जो जातक को कुछ हताश करने लगती है इसके बाद छठा पड़ाव 300 दिनोंतक मस्तक पर रहेगा जो यश एवं वैभव कारक रहेगा ! सातवाँ पड़ाव 200 दिनोंतक नेत्रों पर रहेगा जो हर प्रकार से सम्मान दिलायेगा और जनप्रेमी भी बनाएगा ! साढ़ेसाती का आठवाँ और अंतिम पड़ाव 200 दिनोंतक जातकों के गुदास्थान पर रहेगा जो कष्टकारक रहेगा इस अवधि के मध्य प्रभावित जातकों को अनेकों उलझनों से जूझना पड़ता है ! साढ़ेसाती की ये अंतिम अवधि भयावह रहती है, इसप्रकार किसी भी राशि पर शनि की साढ़ेसाती 2700 दिनोंतक रहती है | इसी सूत्र के आधारपर आप अपने शरीर के किस अंग पर साढ़ेसाती चल रही है उसे ज्ञात कर सकते है | शनि को प्रसन्न करने के लिए शमी अथवा पीपल का वृक्ष लगाएं, परिवार के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें, प्रतिदिन असहाय लोगों की मदद करें, रिश्वत लेने से बचें धूर्तता एवं बेईमानी का अनाज खाने से भी परहेज करें ! प्रातः स्नान के बाद प्रतिदिन ॐ नमोऽ भगवते शनैश्चराय' मंत्र का जप कम से कम 11 बार करें !