Friday 11 July 2014


अष्टाविंशे द्वापरे तु पराशरसुतो हरिः ! यदा भविष्यति व्यासो नाम्ना द्वैपायनः प्रभुः !!
व्यासाय विष्णुरुपाय विष्णु रुपाय व्यासवे ! नमो वै ब्रह्म निधये वाशिष्ठाय नमो नमः !!

भगवान शिव ने कहा, हे ! नन्दीश्वर, जब अट्ठाईसवें द्वापर में भगवान श्री महाविष्णु
पराशरपुत्र व्यास रूप में प्रकट होंगें तब वै द्वैपायन नाम से विख्यात होकर वेदों का
विस्तार करेंगें ! इस प्रकार अट्ठाईस द्वापर में आषाढ़शुक्ल पूर्णिमा को भगवान
व्यास का जन्म हुआ ! विष्णु स्वरुप होने और वेदों का विस्तार करने के
फलस्वरूप वै वेद व्यास कहलाये तथा देवों तथा मनुष्यों में गुरुरूप में पूजित
हुए ! तभी से इनके जन्मदिन को गुरुपूर्णिमा के रूप मनाया जाने लगा !

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