Monday 22 May 2017

श्री दशरथ कृत शनि स्तोत्र संपादन- पं जयगोविन्द शास्त्री
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशनि स्तोत्र मंत्रस्य, कश्यप ऋषिः,
त्रिष्टुप् छन्दः, सौरिर्देवता, शं बीजम्, निः शक्तिः,
कृष्णवर्णेति कीलकम्, धर्मार्थ-काम-मोक्षात्मक-चतुर्विध
पुरुषार्थ-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः|
कर न्यासः-
शनैश्चराय अंगुष्ठाभ्यां नमः | मन्दगतये तर्जनीभ्यां नमः |
अधोक्षजाय मध्यमाभ्यां नमः | कृष्णांगाय अनामिकाभ्यां
नमः | शुष्कोदराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः। छायात्मजाय
करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः |
हृदयादि-न्यासः-
शनैश्चराय हृदयाय नमः | मन्दगतये शिरसे स्वाहा |
अधोक्षजाय शिखायै वषट् | कृष्णांगाय कवचाय हुम् |
शुष्कोदराय नेत्र-त्रयाय वौषट् | छायात्मजाय अस्त्राय फट् |
दिग्बन्धनः- ''ॐ भूर्भुवः स्वः''........शनिदेव का ध्यान मंत्र-

नीलद्युतिं शूलधरं किरीटिनं गृध्रस्थितं त्रासकरं धनुर्धरम् |
चतुर्भुजं सूर्यसुतं प्रशान्तं वन्दे सदाभीष्टकरं वरेण्यम् ||

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च |
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ||
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च |
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ||
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णे च वै नम: |
नमो दीर्घायशुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तुते ||
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: ||
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने ||
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तुते |
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ||
अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते |
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ||
तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च |
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ||
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे |
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ||
देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा: |
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ||
प्रसादं कुरु मे सौरे ! वरदो भव भास्करे |
एवं स्तुत: तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ||

Friday 12 May 2017

वेदाः सांगोपनिषदः पुराणाध्यात्मनिश्चयाः ! यदत्र परमं गुह्यं स वै देवो महेश्वरः !!
अर्थात- वेद, वेदांग, उपनिषद् पुराण और आध्यात्मशास्त्रके जो सिद्धांत हैं तथा
उनमें जो भी परम रहस्य है, वह मेरे परमेश्वर केदारेश्वर ही हैं |