Friday 13 October 2017

अकारो ब्रह्म च प्रोक्तं यकारो विष्णुरुच्यते | धकारो रुद्ररुपश्च अयोध्यानाम राजते |
अर्थात 'अ' कार ब्रह्मा है, 'य' कार विष्णु है, तथा 'ध' कार रूद्र का स्वरूप है | भगवान् विष्णु के चक्रसुदर्शन पर विराजमान आदिपुरी 'अयोध्या' परमपिता ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव इन तीनों का समन्वित स्वरूप ही है..भगवान् राम कहते हैं कि,
जद्यपि सब बैकुंठ बखाना | बेद पुरान बिदित जग जाना || 
अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोउ | यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ ||
जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि | उत्तर दिशि बह सरजू पावनि || 
जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा |मम समीप नर पावहि बासा ||

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