ते जन्मभाजः खलु जीवलोके ये वै सदा ध्यायन्ति विश्वनाथम् !
वाणी गुणान् स्तौति कथां श्रृणोति श्रोत्रद्वयं ते भवमुत्तरन्ति !!
अर्थात - जो सदा भगवान् शिव का ध्यान करते हैं, जिनकी वाणी
शिव के गुणों की स्तुति करती है और जिनके कान उनकी कथा
सुनते हैं, इस जीव-जगत् में उन्हीं का जन्म लेना सफल है ! वै
निश्चय ही संसार-सागर से पार हो जाते हैं ! ''शिवसंकल्पमस्तु''
No comments:
Post a Comment
सभी शिव भक्तों के लिए सुखद समाचार है, कि आगामी 19 और 20 सितंबर को श्री ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग पर महारुद्राभिषेक पाठ करने का निर्णय लिया गया है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! अपनी उपस्थिति के लिए हमें सूचित करें ! पं जयगोविंद शास्त्री