Sunday 28 February 2016

द्वै पक्षे बन्धमोक्षाय न ममेति ममेति च |
ममेति बध्यते जंतुः न ममेति प्रमुच्चते |
अर्थात बंधन और मोक्ष के लिए इस संसार में दो ही पद हैं एक
पद है 'यह मेरा नहीं है,'दूसरा पद है- 'यह मेरा है' (ममेति) |
मेरा है- इस ज्ञान से वह बंध जाता है और यह मेरा नहीं है इस
ज्ञान से वह मुक्त हो जाता है |

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सभी शिव भक्तों के लिए सुखद समाचार है, कि आगामी 19 और 20 सितंबर को श्री ओंकारेश्वर
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