दीपोत्सव पर करें लक्ष्मी-कुबेर को प्रसन्न
महालक्ष्मी का प्राकट्यपर्व दीपावली 11 नवंबर बुधवार को है | देवराज इंद्र के अभद्र आचरण के कारण जब महर्षि दुर्वासा ने तीनों लोकों को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया तो व्याकुल देवता त्रिदेवों की शरण में गए, महादेव ने उन्हें समुद्रमंथन का सुझाव दिया, जिसे देवता और दानव सहमत हो गए | मंथन की प्रक्रिया आरम्भ करने के लिए नागराज वासुकी को रस्सी और मंदराचल पर्वत को मथानी के रूप में उपयोग किया गया | समुद्रमंथन के मध्य कार्तिक कृष्णपक्ष अमावस्या को श्रीमहालक्ष्मी प्रकट हुईं थीं, तभी से इसदिन को श्रीमहालक्ष्मी की आराधना एवं प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है | इसदिन श्रीमहालक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ श्रीगणेश, कुबेर नवग्रह,षोडशमातृका, सप्तघृत मातृका, दसदिक्पाल और वास्तुदेव का आवाहन-पूजन करने से वर्षपर्यंत अष्टलक्ष्मी की कृपा बनी रहती है | परिवार में मांगलिक कार्यों और सुख-शान्ति से आत्मसुख मिलता है | इसदिन घर में आरही लक्ष्मी की स्थिरता के लिए देवताओं के कोषाध्यक्ष धन एवं समृद्धि के स्वामी कुबेर का पूजन-आराधन करने से नष्ट हुआ धन भी वापस मिल जाता है, व्यापार वृद्धि हेतु कुबेर यंत्र श्रेष्ठतम् है इसे किसी भी तरह के सोने, चांदी, अष्टधातु, तांबे, भोजपत्र, आदि पर निर्मितकर पूजन करना श्रेष्ठ होता है इन्हीं वस्तुओं पर यंत्रराज श्रीयंत्र भी निर्मित कर सकते हैं ! गृहस्त लोगों के लिए महालक्ष्मी पूजन के समय सर्वप्रथम गणेश जी के लिए ॐ गं गणपतये नमः | कलश के लिए ॐ वरुणाय नमः | नवग्रह के लिए ॐ नवग्रहादि देवताभ्यो नमः | सोलह माताओं की प्रसन्नता के लिए ॐ षोडश मातृकायै नमः | लक्ष्मी के लिए ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः | कुबेर के लिए ॐ कुबेराय वित्तेश्वराय नमः | मंत्र का प्रयोग करना सर्वोत्तम रहेगा | अमावस्या के दिन अपने-अपने निवास स्थान में पूजा के लिए सायं 05 बजकर 30 मिनट से रात्रि 08 बजकर 42 मिनट तक का समय सर्वश्रेष्ठ रहेगा | इस अवधि के मध्य बुधवार दिन, प्रदोषबेला, स्थिर लग्न बृषभ, गुरु का नक्षत्र विशाखा, शुभ चौघडिया और तुला राशिगत सूर्य-चन्द्र की युति होने से दीपावली पूजन कई गुना अधिक शुभफलदायी रहेगा | साधकों के लिए ईष्ट आराधना, कुल देवी-देवता का पूजन, मंत्र सिद्धि अथवा जागृत करने, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, आदि का जप-पाठ करने के लिए उपयुक्त निशीथकाल का शुभसमय रात्रि 08 बजकर 43 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा ! तांत्रिक जगत के लिए महानिशीथ काल रात्रि 10 बजकर 32 मिनट से मध्यरात्रि 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा | पं जयगोविन्द शास्त्री
महालक्ष्मी का प्राकट्यपर्व दीपावली 11 नवंबर बुधवार को है | देवराज इंद्र के अभद्र आचरण के कारण जब महर्षि दुर्वासा ने तीनों लोकों को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया तो व्याकुल देवता त्रिदेवों की शरण में गए, महादेव ने उन्हें समुद्रमंथन का सुझाव दिया, जिसे देवता और दानव सहमत हो गए | मंथन की प्रक्रिया आरम्भ करने के लिए नागराज वासुकी को रस्सी और मंदराचल पर्वत को मथानी के रूप में उपयोग किया गया | समुद्रमंथन के मध्य कार्तिक कृष्णपक्ष अमावस्या को श्रीमहालक्ष्मी प्रकट हुईं थीं, तभी से इसदिन को श्रीमहालक्ष्मी की आराधना एवं प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है | इसदिन श्रीमहालक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ श्रीगणेश, कुबेर नवग्रह,षोडशमातृका, सप्तघृत मातृका, दसदिक्पाल और वास्तुदेव का आवाहन-पूजन करने से वर्षपर्यंत अष्टलक्ष्मी की कृपा बनी रहती है | परिवार में मांगलिक कार्यों और सुख-शान्ति से आत्मसुख मिलता है | इसदिन घर में आरही लक्ष्मी की स्थिरता के लिए देवताओं के कोषाध्यक्ष धन एवं समृद्धि के स्वामी कुबेर का पूजन-आराधन करने से नष्ट हुआ धन भी वापस मिल जाता है, व्यापार वृद्धि हेतु कुबेर यंत्र श्रेष्ठतम् है इसे किसी भी तरह के सोने, चांदी, अष्टधातु, तांबे, भोजपत्र, आदि पर निर्मितकर पूजन करना श्रेष्ठ होता है इन्हीं वस्तुओं पर यंत्रराज श्रीयंत्र भी निर्मित कर सकते हैं ! गृहस्त लोगों के लिए महालक्ष्मी पूजन के समय सर्वप्रथम गणेश जी के लिए ॐ गं गणपतये नमः | कलश के लिए ॐ वरुणाय नमः | नवग्रह के लिए ॐ नवग्रहादि देवताभ्यो नमः | सोलह माताओं की प्रसन्नता के लिए ॐ षोडश मातृकायै नमः | लक्ष्मी के लिए ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः | कुबेर के लिए ॐ कुबेराय वित्तेश्वराय नमः | मंत्र का प्रयोग करना सर्वोत्तम रहेगा | अमावस्या के दिन अपने-अपने निवास स्थान में पूजा के लिए सायं 05 बजकर 30 मिनट से रात्रि 08 बजकर 42 मिनट तक का समय सर्वश्रेष्ठ रहेगा | इस अवधि के मध्य बुधवार दिन, प्रदोषबेला, स्थिर लग्न बृषभ, गुरु का नक्षत्र विशाखा, शुभ चौघडिया और तुला राशिगत सूर्य-चन्द्र की युति होने से दीपावली पूजन कई गुना अधिक शुभफलदायी रहेगा | साधकों के लिए ईष्ट आराधना, कुल देवी-देवता का पूजन, मंत्र सिद्धि अथवा जागृत करने, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, आदि का जप-पाठ करने के लिए उपयुक्त निशीथकाल का शुभसमय रात्रि 08 बजकर 43 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा ! तांत्रिक जगत के लिए महानिशीथ काल रात्रि 10 बजकर 32 मिनट से मध्यरात्रि 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा | पं जयगोविन्द शास्त्री
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सभी शिव भक्तों के लिए सुखद समाचार है, कि आगामी 19 और 20 सितंबर को श्री ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग पर महारुद्राभिषेक पाठ करने का निर्णय लिया गया है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! अपनी उपस्थिति के लिए हमें सूचित करें ! पं जयगोविंद शास्त्री