Friday 17 April 2015

अक्षुण फलदाई स्वयंसिद्ध मुहूर्त 'अक्षय तृतीया' 21अप्रैल को 'न क्षयः इति अक्षयः' अर्थात - जिसका क्षय नहीं होता वह अक्षय है | सभी वैदिक ग्रंथों ने बैसाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को 'अक्षय' तृतीया माना है |
मुहूर्त ज्योतिष के अनुसार तिथियों का घटना-बढ़ना, क्षय होना, चान्द्रमास एवं सौरमास के अनुसार निश्चित रहता है, किन्तु 'अक्षय' तृतीया का कभी भी क्षय नहीं होता ! श्रीश्वेत वाराहकल्प के वैवस्वत मन्वन्तर में सत्ययुग के आरम्भ की इस अक्षुण फलदाई तिथि को मानव कल्याण हेतु माता पार्वती ने बनाया था | वे कहती हैं कि जो स्त्री/पुरुष सब प्रकार का सुख चाहतें हैं उन्हें 'अक्षय' तृतीया का व्रत करना चाहिए | इस तृतीया के व्रत के दिन नमक नहीं खाना चाहिए, व्रत की महत्ता बताते हुए माँ पार्वती कहती हैं, कि यही व्रत करके मैं प्रत्येक जन्म में भगवान् शिव के साथ आनंदित  रहती हूँ ! उत्तम पति की प्राप्ति के लिए भी हर कुँवारी कन्या को यह व्रत करना चाहिए ! जिनको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो वे भी यह व्रत करके संतान सुख ले सकती हैं | देवी इंद्राणी ने यही व्रत करके 'जयंत' नामक पुत्र प्राप्त किया था | देवी अरुंधती यही व्रत करके अपने पति महर्षि वशिष्ट के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त कर सकीं थीं ! प्रजापति दक्ष की पुत्री रोहिणी ने यही व्रत करके अपने पति चन्द्र की सबसे प्रिय रहीं ! उन्होंने बिना नमक खाए यह व्रत किया था ! प्राणी को इस दिन झूट बोलने और पाप कर्म करने से दूर  रहना चाहिए | जो प्राणी किसी भी तरह का यज्ञ, जप-तप, दान-पुण्य करता है उसके द्वारा किये गये सत्कर्म का फल अक्षुण रहेगा | भूमिपूजन, व्यापार आरम्भ, गृहप्रवेश, वैवाहिक कार्य, यज्ञोपवीत संस्कार, नए अनुबंध, नामकरण आदि जैसे सभी मांगलिक कार्यों के लिए अक्षय तृतीया वरदान की तरह है | इसदिन रोहिणी नक्षत्र का आरम्भ दोपहर 11 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है उससमय अभिजित मुहूर्त भी रहेगा | इसलिए रोहिणी नक्षत्र के संयोग से दिन और भी शुभ रहेगा | प्राणियों को इसदिन भगवान विष्णु की लक्ष्मी सहित गंध, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धुप, दीप नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए ! अगर भगवान् विष्णु को गंगा जल और अक्षत से स्नान करावै, तो मनुष्य राजसूय यज्ञ के फल कि प्राप्ति होती है | शास्त्रों में इसदिन
वृक्षारोपण का भी अमोघ फल बताया गया है जिसप्रकार अक्षय तृतीया को लगाये गये वृक्ष हरे-भरे होकर पल्लवितपुष्पित होते हैं उसी प्रकार इसदिन वृक्षारोपण करने वाला प्राणी भी कामयाबियों के चरम पर पहुंचता है ! पं जयगोविंद शास्त्री

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सभी शिव भक्तों के लिए सुखद समाचार है, कि आगामी 19 और 20 सितंबर को श्री ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग पर महारुद्राभिषेक पाठ करने का निर्णय लिया गया है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! अपनी उपस्थिति के लिए हमें सूचित करें ! पं जयगोविंद शास्त्री