जागु-जागु जीव जड़ जोहै जगजामिनी !
देह, गेह, नेह, जानु जैसे घनदामिनी !!
अर्थात - हे ! जड़मति जीव जागो-जागो ! जगत को उत्पन्न करने वाली माँ
पराम्बा तुम्हारे सन्मार्ग पर आने की प्रतीक्षा कर रही हैं ! यह देह जिसके
बल पर तुम्हें अभिमान है, यह महल जो तुम्हारे अहंकार को बढ़ावा देता है
और ये रिश्ते-नाते जो तुम्हारे सच्चिदानंद प्राप्ति में बाधक बन रहे हैं ये
सब बादलों के मध्य चमकती हुई बिजली के समान क्षण भंगुर हैं !
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सभी शिव भक्तों के लिए सुखद समाचार है, कि आगामी 19 और 20 सितंबर को श्री ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग पर महारुद्राभिषेक पाठ करने का निर्णय लिया गया है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! अपनी उपस्थिति के लिए हमें सूचित करें ! पं जयगोविंद शास्त्री