शिवकृपा प्राप्ति का मुख्य पर्व 'श्रावण शिवरात्रि' सोमवार को- PT JAIGOVIND SHASTRI ASTROLOGER
यूँ तो सनातन धर्म में सृष्टि संहार के स्वामी श्रीरूद्र की उपासना के लिए श्रावण माह को सर्वाधिक पुण्यफलदाई माना गया है, किन्तु इसवर्ष पड़ने वाली 'श्रावण शिवरात्रि' को सोमवार दिन भी है इसलिए यह 'अमृतयोग' तुल्य शुभमुहूर्तयोग बन गया है ऐसे में प्राणियों को इस दिन शिवोपासना अथवा रुद्राभिषेक का कोई भी सुअवसर खोना नहीं चाहिए | सम्पूर्ण श्रावणमाह में शिव-शक्ति पृथ्वी पर ही निवास करते हैं अतः सभी देव-दनुज, नाग, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, शिवगण, शिव भक्त आदि 'शिवः अभिषेक प्रियः, श्रावणे पूजयेत शिवम्' आदि-आदि सूक्तिओं के संकेत से भगवान् रूद्र की आराधना एवं अभिषेक करते हैं | इस माह के आरम्भ होते ही शिवभक्त कांवडि़ये हरिद्वार, ऋषिकेश और गोमुख से गंगाजल भरकर कांवड़ उठाये अपने-अपने घर को लौटते हैं | मार्ग में इन शिवभक्तों द्वारा ॐ नमः शिवाय, बोल बं, 'बम-बम भोले' आदि के उद्घोष से पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है | वेदों के अनुसार 'मुमुक्षुः तीर्थ वारिणाः' | शिवरात्रि के दिन किसी भी तीर्थजल, समुद्र्जल, गंगाजल से अभिषेक शिव को अतिशय प्रिय है, किन्तु गंगाजल के द्वारा भगवान शंकर का अभिषेक सर्वोत्तम माना गया है | ऋषियों का कहना है कि 'भावी मेट सकहिं त्रिपुरारी | अर्थात- ब्रह्मा जी द्वारा प्राणियों के भाग्य में लिखा गया त्रिबिध दुःख भी भगवान् शिव ही समाप्त कर सकते हैं | जो श्रद्धालु मंदिर नहीं जा पाते हैं, वे घर में ही रखे शिव परिवार का अभिषेक कर सकते हैं सभी गृहस्थ शिवभक्तों को इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि घर में दो शिवलिंग न हों और अभिषेक करने के समय शिव परिवार के सभी सदस्य, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी एवं आभूषण नागदेवता सभी शिवलिंग के चारों ओर विराजमान रहें | वैरागियों, साधुसंतों, बालब्रह्मचारियों, घर-पारिवार से मुक्त शिवभक्तों के लिए ऐसा करना अनिवार्य नहीं है, वै केवल शिवलिंग की ही पूजा करते हैं, उनके लिए कहागया है कि 'शिवलिंगेपि सर्वेषां देवानां पूजनं भवेत' अर्थात शिवलिंग पर ही सभी देवों का भी अभिषेक करें | शुक्ल यजुर्वेद में विभिन्न द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करने का फल बताया गया है | गन्ने के रस से शीघ्र विवाह श्री एवं धन प्राप्ति, शहद कर्जमुक्ति एवं पूर्ण पति का सुख, दही से पशुधन की वृद्धि, कुश एवं जल से आरोग्य शरीर, मिश्री एवं दूध से उत्तम विद्या प्राप्ति, कच्चे दूध से पुत्र सुख, और गाय के घी द्वारा रुद्राभिषेक करने पर सर्वकामना पूर्ण होती है | भगवान रूद्र को भस्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक का फूल, धतूरा फल, बिल्व पत्र और भांग विशेष रूप से प्रिय हैं अतः इन्ही पदार्थों से आगामी श्रावण शिवरात्रि सोमवार 1अगस्त को शिवपूजन करें | पं जयगोविन्द शास्त्री
यूँ तो सनातन धर्म में सृष्टि संहार के स्वामी श्रीरूद्र की उपासना के लिए श्रावण माह को सर्वाधिक पुण्यफलदाई माना गया है, किन्तु इसवर्ष पड़ने वाली 'श्रावण शिवरात्रि' को सोमवार दिन भी है इसलिए यह 'अमृतयोग' तुल्य शुभमुहूर्तयोग बन गया है ऐसे में प्राणियों को इस दिन शिवोपासना अथवा रुद्राभिषेक का कोई भी सुअवसर खोना नहीं चाहिए | सम्पूर्ण श्रावणमाह में शिव-शक्ति पृथ्वी पर ही निवास करते हैं अतः सभी देव-दनुज, नाग, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, शिवगण, शिव भक्त आदि 'शिवः अभिषेक प्रियः, श्रावणे पूजयेत शिवम्' आदि-आदि सूक्तिओं के संकेत से भगवान् रूद्र की आराधना एवं अभिषेक करते हैं | इस माह के आरम्भ होते ही शिवभक्त कांवडि़ये हरिद्वार, ऋषिकेश और गोमुख से गंगाजल भरकर कांवड़ उठाये अपने-अपने घर को लौटते हैं | मार्ग में इन शिवभक्तों द्वारा ॐ नमः शिवाय, बोल बं, 'बम-बम भोले' आदि के उद्घोष से पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है | वेदों के अनुसार 'मुमुक्षुः तीर्थ वारिणाः' | शिवरात्रि के दिन किसी भी तीर्थजल, समुद्र्जल, गंगाजल से अभिषेक शिव को अतिशय प्रिय है, किन्तु गंगाजल के द्वारा भगवान शंकर का अभिषेक सर्वोत्तम माना गया है | ऋषियों का कहना है कि 'भावी मेट सकहिं त्रिपुरारी | अर्थात- ब्रह्मा जी द्वारा प्राणियों के भाग्य में लिखा गया त्रिबिध दुःख भी भगवान् शिव ही समाप्त कर सकते हैं | जो श्रद्धालु मंदिर नहीं जा पाते हैं, वे घर में ही रखे शिव परिवार का अभिषेक कर सकते हैं सभी गृहस्थ शिवभक्तों को इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि घर में दो शिवलिंग न हों और अभिषेक करने के समय शिव परिवार के सभी सदस्य, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी एवं आभूषण नागदेवता सभी शिवलिंग के चारों ओर विराजमान रहें | वैरागियों, साधुसंतों, बालब्रह्मचारियों, घर-पारिवार से मुक्त शिवभक्तों के लिए ऐसा करना अनिवार्य नहीं है, वै केवल शिवलिंग की ही पूजा करते हैं, उनके लिए कहागया है कि 'शिवलिंगेपि सर्वेषां देवानां पूजनं भवेत' अर्थात शिवलिंग पर ही सभी देवों का भी अभिषेक करें | शुक्ल यजुर्वेद में विभिन्न द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करने का फल बताया गया है | गन्ने के रस से शीघ्र विवाह श्री एवं धन प्राप्ति, शहद कर्जमुक्ति एवं पूर्ण पति का सुख, दही से पशुधन की वृद्धि, कुश एवं जल से आरोग्य शरीर, मिश्री एवं दूध से उत्तम विद्या प्राप्ति, कच्चे दूध से पुत्र सुख, और गाय के घी द्वारा रुद्राभिषेक करने पर सर्वकामना पूर्ण होती है | भगवान रूद्र को भस्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक का फूल, धतूरा फल, बिल्व पत्र और भांग विशेष रूप से प्रिय हैं अतः इन्ही पदार्थों से आगामी श्रावण शिवरात्रि सोमवार 1अगस्त को शिवपूजन करें | पं जयगोविन्द शास्त्री